कुछ देर और बैठो
कुछ देर और बैठो
निःस्वार्थ भाव यदि मन में हो तो
सुंदर विचारों का वास होता है
जो दूसरों के मदद के लिए तत्पर रहता है
समाज में उनका सम्मान होता है।
मानव है गुणों का भंडार
भेदभाव और अंधश्रद्धा को भूल
अमृतमयी सुखद बेला में
परहित का शुभ कार्य करें।
ताकि बड़े ही आदर और सम्मान के साथ
जनमानस के मुंह से यह शब्द निकले
आइए आइए श्रीमान
कुछ देर और बैठो।
मिला है मौका हम सबको
मिला है हमें मानव जीवन
पुण्य कर्म तुम कुछ कर लो
वरना होगी केवल पछतावा।
हमारे पुरातन ग्रंथ की बातें
आओ सभी मिलकर याद करें
ज्ञान से भरी हुई है अच्छी अच्छी बातें
जो देती है कई सौगाते।
आज उदास है चमन का हर एक गुल
हमें उसे गुलजार करना है
मानव मानव है एक समान
किसी का निरादर नही करना है।
ताकि जनमानस के मुंह से यह शब्द निकले
आइए आइए श्रीमान
कुछ देर और बैठो।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
24-Sep-2023 08:29 PM
👏👌
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Varsha_Upadhyay
24-Sep-2023 04:52 PM
Nice 👌
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